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मोतिया नऊ का भूत (बिरहा गायक) लाल जी लहरी नही रहे हमारे बीच
आई सावनी बहार हो, झुलाइ द झुलना…, सावन की कजरी अब उदास रहेगी। सावन को माटी के गीतों से उल्लासमय बनाने वाले लालजी लहरी की आवाज सदा के लिए खामोश हो गई। शुक्रवार दोपहर में उनका एसआरएन अस्पताल में निधन हो गया। उनके असामयिक निधन से बिरहा जगत स्तब्ध है। देश- प्रदेश में प्रयागराज की काल्पनिक कहानी.. मोतिया नाई का भूत शीर्षक बिरहा से लोगों के दिलों पर राज करने वाले लालजी छोटी उम्र में ही बिरहा के मुरीद हुए। ऐसी खुमारी चढ़ी कि आजीवन वह लोक गायन में ही रम गए। तमाम बिरहा दंगलों में उन्होंने अपनी जीत का परचम लहराकर प्रयागराज की बिरहा परम्परा को बुलंद किया। हैदर अली जुगनू के बाद उनकी गायकी को अव्वल माना जाता था।
सबसे करीबी शिष्य – मानसिंह यादव
बिरहा गायक और भारतीय लोक कला के जिला अध्यक्ष
कमलेश गुरुजी स्वर्गीय गुरु महाराज दयाराम को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए।
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